Not known Details About Shodashi
Wiki Article
The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and fulfill all wanted outcomes and aspirations. It's considered to invoke the merged energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the final word goal of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all facets of existence.
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
The underground cavern has a dome high earlier mentioned, and hardly noticeable. Voices echo beautifully off The traditional stone in the walls. Devi sits inside a pool of holy spring drinking water which has a canopy over the top. A pujari guides devotees by way of the entire process of spending homage and acquiring darshan at this most sacred of tantric peethams.
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
An early morning bath is taken into account necessary, accompanied by adorning new clothes. The puja space is sanctified and decorated with flowers and rangoli, developing a sacred Area for worship.
ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
As the camphor is burnt into the fire quickly, the sins produced by the person turn out to be no cost from Individuals. There is no any as such will need to locate an auspicious time to begin the accomplishment. But adhering to intervals are mentioned to generally be Unique for this.
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना website करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।